क्षेत्र का अतिशय

अतिशय कुण्ड

श्री पटेरियाजी क्षेत्र उस युग के धर्म समाज नियंत्रक भट्टारको के कार्य क्षेत्र और प्रभाव में था भट्टारको की प्रसिद्ध गादिया और उनकी शाखाये दिल्ली,  मथुरा,  आगरा,  ग्वालियर,  सोनागिरी ललितपुर,  देवगढ,  पनागर,  नरसिंहपुर, मुक्तागिरी जी आदि स्थानों में थी। कुण्डलपुर क्षेत्र एवं पटेरिया जी क्षेत्र पर इनका गहरा प्रभाव था। यहाँ मंदिरजी के परकोटे के उत्तर में प्रवेश द्वार के बायी ओर विद्यमान कुण्ड भट्टारक जी की महती साधना सिद्धियों और क्षेत्र के अतिशय का परिचायक है। मान्यता है कि संवत 1839 मे पंचकल्याण प्रतिष्ठा और गजरथ महोत्सव मे अपार जनसमूह उपस्थित हुआ प्रतिष्ठाकारक द्वारा तैयार कराई गई फिर भी भोजन सामग्री कम पड़ती नजर आ रही थी। यह देख प्रतिष्ठा कारक ने अपने क्षेत्र के संरक्षक भट्टारक महेन्द्रकीर्ति जी से अनुरोध किया तो भट्टारक जी ने आदेश दिया कि परकोटा के उत्तरी प्रवेश द्वार के बायीं ओर एक कुंड खोदिये कुण्ड मे जो जल निकलेगा उसे आप लोग कढाई मे डालिये वह जल घी हो जायेगा, वास्तव मे हुआ भी ऐसा ही। परिणामस्वरूप प्रतिष्ठाकारक और नगरवासियों की प्रतिष्ठा कायम रही तभी से यह कुण्ड अतिशय कुण्ड के नाम से प्रसिद्ध है।

अतिशय स्तंभ

अतिशय क्षेत्र पटेरिया जी के मंदिर के पूर्व द्वार की ओर मानस्तम्भ के बाजू में एक स्तम्भ है। जिसे भट्टारक श्री महेन्द्र कीर्ति जी ने अपनी साधना से अभिमंत्रित किया था। मान्यतानुसार जो कोई ज्वरपीड़ित (बुखार ग्रसित) औषधोपचार के बाबजूद भी स्वास्थ्य लाभ नहीं पा रहा होता है वह इस अतिशय स्तम्भ की सच्चे मन से तीन प्रदक्षिणा कर इसके आगे शीश नवाता है, उसकी पीड़ा का नाश होता है। तभी से इस स्तम्भ को अतिशय स्तम्भ के नाम से जाना जाता है।

आज भी जो भी सच्चे मन से इस अतिशय स्तम्भ की प्रदक्षिणा कर इसके सम्मुख शीश नवाता है वाग अपनी पीडाओं से शीघ्र ही निजात पाता है।

आश्चर्यजनक किन्तु सत्य

बात भाद्रपद कृष्ण सप्तमी गुरुवार 20 अगस्त 1992 की है। अशोकनगर से एक विनयॉजली यात्रा संघ जो कुण्डलपुर की यात्रा कर अतिशय क्षेत्र पटेरिया जी पर आया था। सायंकाल सात बजे यात्रा संघ पटेरिया बाले बाबा की भक्ति में लीन था कि देखते ही देखते पटेरिया वाले बाबा श्री चिंतामणी त्रिफर्णी एवं सावलिया पारसनाथ प्रभु की तीनो प्रतिमाओं से अचानक जल प्रवाह होने लगा जो रात्रि एक बजे तक चला फिर क्या था पूरा नगर जन समूह भक्ति मे लीन हो गया भक्ति से चूर कुछ यात्रीगण मंदिर की परिक्रमा मे ही सो गयें। मंदिर बंद हो गया यात्री अंदर रह गये किन्तु जो उन्होंने सुना वह कोई और नही सुन पाया मध्य रात्रि मे देवकृत भक्ति प्रारंभ हो गई वाद्ययंत्रो घुघरूओ की अत्याधिक तीव्र सुमधुर ध्वनी सुन यात्री आश्चर्यचकित होकर घवड़ा गये उन्होंने मंदिर से निकलने हेतु आवाज दी। इस क्षेत्र के अतिशय की और भी कई किबदन्तियाँ है। किन्तु यह सत्य है कि आज जो भी भक्तगण पटेरिया बाबा के दरबार मे सच्चे मन से मनोकामना करता है वह पूर्ण होती है एवं बाधायें दूर होती है।

क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ

वातानुकूलित कमरे    –

अटेच कमरे    –

सामान्य कमरे  –

प्रवचन हॉल    –

विस्तृत मैदान एवं पार्किंग की सुविधायुक्त व्यवस्था

मांगलिक कार्य हेतु क्षेत्र पर जगह आरक्षित करने किये जा सकते है

दैनिक शांतिधारा

दैनिक शांतिधारा हेतु 1100/- की राशि निम्न खाता नंबर पर भेजे और उसकी सूचना कम से कम एक दिन पूर्व क्षेत्र के अधिकृत मोबाइल नंबर (9300581108) पर भेजे जिससे निश्चित समयावधि पर शांतिधारा सुनिश्चित की जा सके